भूत, भविष्य और वर्तमान, सब सुन्दर और स्वप्निल हो जाता है। भूत, भविष्य और वर्तमान, सब सुन्दर और स्वप्निल हो जाता है।
आज मेरे लबों पर ये " काश " न आया होता। आज मेरे लबों पर ये " काश " न आया होता।
रेत की तरह --अनवरत वापस नहीं आने को, लौटकर करो सदुपयोग --उसका थाम लो रेत की तरह --अनवरत वापस नहीं आने को, लौटकर करो सदुपयोग --उसका थाम लो
मेरी जिंदगी भी रेत घड़ी जैसी गिरती जैसे रेत चलती है वैसी। मेरी जिंदगी भी रेत घड़ी जैसी गिरती जैसे रेत चलती है वैसी।
समय के भीतर हैं सब हम तुम ये पक्षी पेड़ ताल और पहाड़। समय के भीतर हैं सब हम तुम ये पक्षी पेड़ ताल और पहाड़।
समय रेत मुठ्ठी से हरदम फिसल जाए समय रेत मुठ्ठी से हरदम फिसल जाए